पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय के घर बेटी के रूप में पैदा होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्र-पूजन में पहले दिन इन्हीं की पूजा की जाती है।
शुभ मंत्र -ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
शैलपुत्री: मानव मन पर अधिपत्य रखती पहली दुर्गा चंद्र स्वरूपा देवी शैलपुत्री शाश्वत जीवन में ये स्वरुप है उस नवजात शिशु का जिसने, जो अबोध है, निष्पाप है जिसका मन निर्मल है।
उपाय: मनोविकार से मुक्ति के लिए मां शैलपुत्री को सफेद कनेर के फूल चढ़ाएं।
पहला दिन - नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की आराधना का दिन होता है। मां शैलपुत्री का पसंदीदा रंग लाल है, जो कि उल्लास, साहस और शक्ति का रंग माना जाता है। इस दिन लाल रंग का प्रयोग करने पर मां शैलपुत्री शीघ्र प्रसन्न होकर निर्णय क्षमता में वृद्धि करती हैं और इच्छित फल प्रदान करती है।
शुभ मंत्र -ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
शैलपुत्री: मानव मन पर अधिपत्य रखती पहली दुर्गा चंद्र स्वरूपा देवी शैलपुत्री शाश्वत जीवन में ये स्वरुप है उस नवजात शिशु का जिसने, जो अबोध है, निष्पाप है जिसका मन निर्मल है।
उपाय: मनोविकार से मुक्ति के लिए मां शैलपुत्री को सफेद कनेर के फूल चढ़ाएं।
पहला दिन - नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की आराधना का दिन होता है। मां शैलपुत्री का पसंदीदा रंग लाल है, जो कि उल्लास, साहस और शक्ति का रंग माना जाता है। इस दिन लाल रंग का प्रयोग करने पर मां शैलपुत्री शीघ्र प्रसन्न होकर निर्णय क्षमता में वृद्धि करती हैं और इच्छित फल प्रदान करती है।
दूसरा दिन
ब्रह्मचारिणी
नवरात्र में दूसरे दिन देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी का जन्म दक्ष के घर में हुआ था और भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इन्होंने घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है।
शुभ मंत्र :-ब्रह्मचारिणी ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
ब्रह्मचारिणी:-तामसिक इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करती दूसरी दुर्गा मंगल स्वरूपा देवी ब्रह्मचारिणी शाश्वत जीवन में ये स्वरुप है उस बच्चे का जो अब बड़ा हो रहा है, विद्यार्थी है और जिसका जीवन ही ज्ञान स्वरूप है।
उपाय: शक्ति प्राप्ति के लिए मां ब्रह्मचारिणी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं।
दूसरा दिन - नवरात्रि का दूसरा दिन, मां ब्रम्हचारिणी की आराधना के लिए विशेष दिन होता है। मां ब्रम्हचारिणी, कुंडलिनी जागरण हेतु शक्ति प्रदान करती हैं। मां ब्रम्हचारिणी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। अत: नवरात्रि के दूसरे दिन पीले रंग के वस्त्रादि का प्रयोग कर मां की आराधना करना शुभ होता है।
तीसरा दिन
🕉️चंद्रघंटा🕉️
भगवान शिव के साथ विवाह के बाद देवी देवी ने मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र धारण करना शरू किया। इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है।
शुभ मंत्र :- चन्द्रघण्टा ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
चन्द्रघण्टा: कामोत्तेजना को वश में रखती तीसरी दुर्गा शुक्र स्वरूपा देवी चन्द्रघण्टा शाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस नवयोवना का है जिसमें प्रेम का भाव जागृत है तथा जो व्यसक कि श्रेणी में आ गया है।
उपाय: प्रेम में सफलता के लिए मां चन्द्रघण्टा को चमेली का इत्र चढ़ाएं।
तीसरा दिन - तृतीयं चंद्रघंटेती, अर्थात नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। मां चंद्रघंटा की आराधना में हरे रंग का विशेष महत्व है। इस दिन हरे रंग का प्रयोग कर मां की कृपा एवं सुख शांति प्राप्त की जा सकती है।
चौथा दिन
कूष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है। कहते हैं माता को मालपुआ बेहद पसंद है, इसलिए इस दिन प्रसाद के रूप में मालपुआ चढ़ाने के अलावा दूसरों को खिलाने वालों की बुद्धि तेज होती है और इसके बल पर वो अपनी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
शुभ-मंत्र :- कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम:।
कूष्मांडा: जीवनी शक्ति का संचरण करती चौथी दुर्गा सूर्य स्वरूपा देवी कूष्माडा शाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस विवाहित स्त्री और पुरुष का है जिसके गर्भ में नवजीवन पनप रहा है अर्थात जो अपनी गर्भावस्था में है।
उपाय:- संतति सुख कि प्राप्ति के लिए मां कूष्मांडा पर जायफल चढ़ाएं।
चौथा दिन - मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप का पूजन नवरात्रि के चौथे दिन किया जाता है। रोगों को दूर कर, धन, यश की प्राप्ति के लिए सिलेटी रं से आप मां कुष्मांडा को प्रसन्न कर सकते हैं।
पांचवा दिन
स्कंदमाता
स्कंदमाता की गोद में उनके पुत्र कार्तिकेय विराजमान होते हैं, नवरात्रि के पांचवें दिन इन्हीं की पूजा होती है। पका केला देवी को बहुत प्रिय माना जाता है, इसलिए इस दिन अपनी मनोकामना के साथ केले का प्रसाद चढ़ाएं और गरीबों में बांटें। इससे आपको मनोवांछित फल मिलेंगे, साथ ही रोग-शोक भी दूर होंगे।
शुभ मंत्र :- स्कंदमाता ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
स्कंदमाता: पालन शक्ति का संचरण करती पांचवीं दुर्गा बुद्ध स्वरूपा देवी स्कंदमाता यशाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस महिला अथवा पुरुष का है जो माता-पिता बनकर अपने बच्चों का लालन-पोषण करते हैं।
उपाय: संतान कि सफलता के लिए स्कंदमाता पर मेहंदी चढ़ाएं।
पांचवा दिन - नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता की आराधना के लिए समर्पित है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है, अत: इनका पसंदीदा रंग भी तेज से परिपूर्ण अर्थात नारंगी है। इस दिन नारंगी रंग का प्रयोग शुभ फल प्रदान करता है।
छठा दिन
देवी कात्यायनी
मां दुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय माना जाता है, इसलिए प्रसाद में इस दिन शहद अवश्य चढ़ाएं या इससे बनी किसी अन्य खाद्य वस्तु का भी भोग लगा सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे आपको देवी की कृपा मिलती है और अभूतपूर्व खूबसूरती और आकर्षण प्राप्त होता है।
शुभ मंत्र:- ॐ ह्रीं क्लीं कात्यायने नमः|
कात्यायनी: पारिवारिक जीवन का निर्वाहन करती षष्टम दुर्गा बृहस्पति रूपा देवी कात्यायनी शाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस अधेड़ महिला अथवा पुरुष का है जो परिवार में रहकर अपनी पीढ़ी का भविष्य संवार रहे हैं।
उपाय: पारिवारिक सुख-शांति के लिए मां कात्यायनी पर साबुत हल्दी कि गाठें चढ़ाएं।
छठा दिन - नवरात्रि का छठा दिन यानि मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की आराधना का दिन। ऋषि कात्यायन की पुत्री मां कात्यायनी को सफेद रंग प्रिय है, जो शांति का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से सफेद रंग का प्रयोग शुभ रहेगा।
सप्तमी
कालरात्रि:
देवी कालरात्रि को प्रलयंकारी माना गया है। मान्यता है कि देवी अगर प्रसन्न हो जाएं तो जीवन से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है। देवी काली को गुड़ बेहद प्रिय माना जाता है, इसलिए इनकी कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन गुड़ या इससे बना भोग प्रसाद रूप में अवश्य चढ़ाएं। साथ ही गुड़ का दान भी करें।
शुभ मंत्र:- कालरात्रि क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
कालरात्रि: वृद्धावस्था का अनुभव लिए सप्तम दुर्गा शनि स्वरूपा देवी कालरात्रि शाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस वृद्ध महिला अथवा पुरुष का है जो पौत्रों-पौत्री के सुख के लिए जी रहा है और काल (मृत्यु) से लड़ रहा है।
उपाय: मृत्यु भय से मुक्ति के लिए मां कालरात्रि पर काले चने का भोग लगाएं।
सप्तमी - सप्तमी तिथि को मां कलरात्रि की आराधना की जाती है। मां कालरात्रि का पसंदीदा रंग गुलाबी है, अत: मां दुर्गा के इस स्वरूप के पूजन में गुलाबी रंग का प्रयोग शुभ होता है। इस दिन गुलाबी वस्त्र धारण करें।
महागौरी: नवरात्रि की अष्ठमी को मां गौरी की पूजा की जाती है। इस दिन माता को नारियल का प्रसाद चढ़ाएं और ब्राह्मणों को इसका दान भी करें, आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
शुभ मंत्र- महागौरी श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
महागौरी: मृतावस्था का चोला पहने अष्टम दुर्गा राहू स्वरूपा देवी महागौरी शाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस मरणासन्न प्राप्त उस वयोवृद्ध महिला अथवा पुरुष का है जो कफन पहने हैं तथा अर्थी पर सवार हो मृत पड़ा है।
उपाय: सदगति कि प्राप्ति के लिए मां महागौरी पर सौंठ चढ़ाएं।
नवरात्रि की अष्टमी तिथि- महागौरी का समर्पित है। मां महागौरी भक्तों में प्रसन्नता का संचार करती हैं। इस दिन हल्का नीला या आसमानी रंग का प्रयोग बेहद शुभ माना जाता है, जो असीम शांति प्रदान करता है।
सिद्धिदात्री:
नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। सफेद तिल इनकी पसंदीदा खाद्य वस्तु है, इसलिए इस दिन की पूजा सफेद तिल और इससे बनी खाद्य वस्तुओं का भोग अवश्य लगाएं। मां सिद्धिदात्री सर्वमनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है।
शुभ मंत्र :- सिद्धिदात्री ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
सिद्धिदात्री: सिद्धार्थ प्राप्त पंच महाभूत में विलीन नवम दुर्गा केतु स्वरूपा सिद्धिदात्री शाश्वत जीवन में ये स्वरुप उस देह त्याग कर चुकी उस आत्मा का है जिसने जीवन में सर्व सिद्धि प्राप्त करके स्वयं को परमेश्वर में विलीन कर लिया है।
उपाय: मोक्ष कि प्राप्ति के लिए मां सिद्धिदात्री पर केले का भोग लगाएं।
नवरात्रि के नौंवे दिन-मां दुर्गा के सिद्धीदात्री स्वरूप का पूजन होता है। मां सिद्धीदात्री के पूजन में भी आप हल्के नीले रंग का उपयोग कर सकते हैं। चंद्रमा की पूजा के लिए यह सर्वोत्तम दिन है।